इमरान प्रतापगढ़ी की नज़्म "मत समझना डराने से डर जाएंगे"


इमरान प्रतापगढ़ी की नज़्म "मत समझना डराने से डर जाएंगे" 

 

वक्त के हाक़िमों बादशाहों सुनो

ज़ुल्म की फ़ौज के सरबराहों सुनो ! 

क़ातिलों के सभी ख़ैरख़ाहों सुनो, 

एै सियासत के मग़रूर शाहों सुनो 

 

अब के सारी हदों से गुज़र जायेंगे

मत समझना डराने से डर जायेगें ! 

मौत के नाम का ख़ौफ़ देता है क्यूँ, 

मौत जिस रोज़ आयेगी, मर जायेंगे ! 

 

हिन्द के नौजवानों के दुश्मन हो तुम

आरती और आज़ान के दुश्मन हो तुम!

पहले तो हिन्दू मुस्लिम के दुश्मन थे पर

आजकल तो किसान दुश्मन हो तुम!

अन्नदाता से उलझे हैं इस बार ये

मोदी या शाह हों सभ सुधर जाएंगे!

 

हमने ज़मज़म दिया आबे गंगा दिया

तुमने भारत को दंगा ही दंगा दिया !

तुमने एक रंग के ख्वाब देखे मगर,

हमने हिंदोस्तॉं को तिरंगा दिया !

ये तिरंगा बदन पर लपेटे हुए

एक दिन इस ज़मीं में उतर जायेंगे !! 

 

 मत समझना डराने से डर जायेंगे

अब कि सारी हदों से गुज़र जायेंगे !

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