विदेशी कंपनी के प्लेटफार्म पर किसके खर्चे से चल रहा है विज्ञापन?

किसके खर्चे पर चल रहा है इंस्टाग्राम पर विज्ञापन? 

विदेशी कंपनी मेटा, जो पहले फेसबुक थी, उसकी एक ऐप 'इंस्टाग्राम' पर सीएमओ छत्तीसगढ़ के पेज से विज्ञापन चल रहा है। विज्ञापन में बताया गया है कि प्रदेश में पिछले 3 वर्षों में 5 लाख से ज़्यादा युवाओं को नौकरियां मिलीं हैं। आपको भी पता ही होगा कि विज्ञापन चलाने के लिए पैसे लगते हैं। तो सवाल उठना लाज़मी है कि ये विज्ञापन किसके खर्चे से चल रहा है? क्या इसमें प्रदेश की जनता का टैक्स का पैसा खर्च किया जा रहा है? क्या इसका खर्चा मुख्यमंत्री अपनी जेब से कर रहे हैं? क्या इसका खर्च सत्तारूढ़ पार्टी कर रही है?

विज्ञापन की ज़रूरत ही क्यों पड़ी?

सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि ऐसे विज्ञापन की ज़रूरत ही क्यों पड़ गई? यदि पिछले 3 वर्षों में 5 लाख से ज्यादा नौकरियां युवाओं को मिलीं हैं तो पार्टी के 5 लाख वोट तो पक्के होने चाहिए। जिन 5 लाख युवाओं को नौकरी मिली है, उनको तो पता होगा ही कि उनकी नौकरी लगी है, तो फिर किनको बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के 5 लाख से युवाओं को नौकरी मिली है? जिन्हें नौकरी नहीं मिली उनको बताकर क्या हासिल होगा कि प्रदेश में 5 लाख युवाओं को नौकरी मिल गई लेकिन तुम्हें नहीं मिली? क्या ऐसा करना युवाओं की मानसिक स्तिथि के साथ खिलवाड़ तो नहीं?

विपक्षी पार्टियां क्यों हैं मौन?

एक कारण तो ये हो सकता है कि विपक्षी पार्टियों की भी यही सोच हो कि काम हो न हो विज्ञापन चर्चा ज़रूर हो। दूसरा कारण ये हो सकता है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही न हो कि सीएमओ छत्तीसगढ़ द्वारा विदेशी कंपनी इंस्टाग्राम पर विज्ञापन दिया जा रहा है।

वैसे आपने वो ख़बर सुनी की नहीं कि राजस्थान सरकार ने सभी विधायकों को आईफोन 13 दिया है?





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