ऐसा नहीं है कि पटाखे सिर्फ एक ही समुदाय के लोग चलाते हैं। सिख समुदाय के लोग भी दीपावली के पर्व को ' बंदी छोड़ ' दिवस के रूप में मनाते हैं और पटाखे चलाने में वह किसी से कम नहीं हैं। इस वर्ष श्री गुरु नानक देव जी की 551वी जयंती भी है जिसको वृहद रूप से मनाने की तयारी हो रही है। सिखों के साथ साथ कई और समुदाय भी हैं जो अपनी गिनती श्री गुरु नानक देव जी के अनुयायियों में करते हैं।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पहली बानी 'जपजी साहिब' श्री गुरु नानक देव जी की ही रचना है। जपजी साहिब के श्लोक की पहली पंक्ति है "पवन गुरु पानी पीता माता धरत महत्त" जिसका अर्थ है कि पवन हमारा गुरु है, पानी हमारा पिता है और धरती हमारी मां है। लेकिन जिस प्रकार से श्री गुरु नानक देव जी के अनुयायी खुशी मनाने की आड़ में पवन, पानी और धरती को प्रदूषित करते हैं उसे देख कर यह सवाल हो उठेगा ही क्या वो वाकई में अपने आप को श्री गुरु नानक देव जी के अनुयायी कहलाने के लायक हैं?
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